मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

नागरिक अधिकार मंच इस आंदोलन में देशहित हेतु शामिल जरुर है, पर इन प्रश्नों के साथ.

जन लोकपाल विधेयक कमोवेश अब अन्ना हजारे लोकपाल विधेयक बनते जा रहा है. अन्ना हजारे तो मात्र एक चेहरा हैं जो भारतीय जनमानस के मन में भ्रष्टाचार के विरुद्ध उत्तेजना को प्रदर्शित करने हेतु चुन लिए गए हैं. पर शायद वे भी सफलता के मद से मदहोश होने लगे और अब सरकारों और मुख्यमंत्री को प्रमाणपत्र बांटने लगे. वे महाराष्ट्र और दिल्ली में रहकर जन लोकपाल विधेयक हेतु समर्थन जुटाने का काम करने में लगे रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. अरविंद केजरीवाल तो स्वयं समाज सेवा का मार्केटिंग करते हैं और पूरे देश में आईएस लॉबी में संपर्क रखकर अपना प्रचार-प्रसार करने में मशगूल रहते हैं. यही लोग तो हैं जो सरकार और समाज सेवियों के बीच मैनेजर की भूमिका में नजर आते हैं. पिता -पुत्र को कमिटी में रखने का कोई मतलब नहीं है. कई दशकों से संघर्षरत मेधा पाटेकर का इस पूरे एपिसोड से संबद्ध ना रहना आंदोलन के अधूरेपन को दर्शाता है. नागरिक अधिकार मंच इस आंदोलन में देशहित हेतु शामिल जरुर है, पर इन प्रश्नों के साथ.

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