गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

नेशनल आरटीआई फोरम और नागरिक अधिकार मंच का संयुक्त विरोध सभा.


आज 22 दिसंबर 2011 को सहजानंद सरस्वती आश्रमविद्यापति भवन के बगल में (तारामंडल)पटना पर नेशनल आरटीआई फोरमलखनऊ, नागरिक अधिकार मंचपटना एवं अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा 12 बजे से बजे के मध्य विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम किया गया. यह विरोध प्रदर्शन आरटीआई शहीद रामविलास सिंह की दिनांक 08 दिसंबर 2011 को हुई हत्या में आरोपित पुलिसकर्मियों के अभी तक उसी स्थान पर बने रहनेउनके दोष निर्धारण के सम्बन्ध में कोई भी जांच नहीं किये जाने एवं शहीद रामविलास सिंह द्वारा हत्या की बार-बार आशंका जाहिर करने के बाद भी उनके परिवार को राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं दिये जाने विषय में आयोजित किया गया. 
उपस्थित सभी लोगों ने रामविलास सिंह द्वारा बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग समेत समस्त आला अधिकारियों को अपराधियों सहित लखीसराय थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह द्वारा अपने प्राणों को भय बताए जाने के बाद हुई उनकी हत्या होने और आज उनके द्वारा वहीँ नियुक्त हो कर इस हत्या का अनुसन्धान करने को अत्यंत आपत्तिजनक एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के सर्वथा विरुद्ध बताया. 
नेशनल आरटीआई फोरमलखनऊ की कन्वेनर डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि यद्यपि आज सूचना का अधिकार अधिनियम पारित हो गया है लेकिन लगभग सभी राज्यों में इसका सही ढंग से अनुपालन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि वे समझती थीं कि सबसे खराब दशा उत्तर प्रदेश की है लेकिन रामविलास सिंह और इससे पहले बेगुसराय के शशिधर मिश्र की हत्या यह बताती है कि बिहार की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा कि नेशनल आरटीआई फोरम की स्थापना ही उन्होंने और उनके पति यूपी के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के दृष्टिगत किया था. 
नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने कहा कि चूँकि स्वर्गीय रामविलास सिंह ने राज्य सरकार को बार-बार अपने प्राणों का भय बताया और सरकार उनकी हिफाजत करने में असफल रही अतः नैतिकता और क़ानून यह अपेक्षा रखती है कि राज्य सरकार अपनी विफलता के लिए उनके परिवार को समुचित मुआवजा दे.
सामाजिक कार्यकर्ता रजनीश कुमार ने कहा कि ह्त्या की उच्चस्तरीय जाँच  कराई जाए और जिन पुलिस पदाधिकारियों पर पूर्व में ही उन्होंने संदेह व्यक्त किया है उनसे केस का अनुसंधान और पर्यवेक्षण नहीं करा कर इस मुकदमे का अनुसन्धान तत्काल राज्य सीआईडी अथवा सीबीआई को सुपुर्द किया जाए. सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार ने संबंधित थाना प्रभारी को वहाँ से तुरंत प्रभाव से स्थानांतरित करने और उनपर कर्तव्य में लापरवाही बरतने हेतु विभागीय कार्रवाई करने की मांग की. 
इन सभी लोगों ने बिहार के राज्यपाल को अपनी इन मांगो के साथ ज्ञापन सौंपा.


Hindustan Times, Patna, 22.12.2011, Main Page


सोमवार, 19 दिसंबर 2011

आर.टी.आई.एक्टिविस्ट श्री रामविलास सिंह की निर्मम ह्त्या के विरोध में धरना .




लखीसराय जिले के जुझारू आर.टी.आई. एक्टिविस्ट श्री रामविलास सिंह की अपराधियों द्वारा दिन दहाड़े ह्त्या की गयी. यह सर्वविदित है कि उन्होंने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग समेत समस्त आला अधिकारियों को संभावित खतरे से आगाह किया था तथा ह्त्या में शामिल अपराधियों के नाम समेत बताया था कि वे मेरी जान ले सकते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस पदाधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर सूचना के अधिकार के तहत उन पर किए जा रहे कार्रवाई का ब्योरा भी माँगा था तथा भ्रष्ट डीएसपी के संपत्ति का ब्योरा भी माँगा था. बावजूद इसके संवेदनहीन पदाधिकारियों द्वारा हत्याभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना पुलिस पदाधिकारियों की ह्त्या के साजिश में शामिल होने के कयास को पुख्ता करती है. इस ह्त्या के खिलाफ नागरिक अधिकार मंच द्वारा पटना के आर.ब्लॉक. चौराहा पर दिनांक १९/१२/२०११ दिन सोमवार को ११ बजे दिन से ५ बजे शाम तक धरना का आयोजन किया गया. इस धरने की प्रमुख मांगे हैं-

१.      इस ह्त्या की उच्चस्तरीय जाँच  कराई जाए, जिन पुलिस पदाधिकारियों पर पूर्व में ही उन्होंने संदेह व्यक्त किया है तथा जिनके इस ह्त्या के साजिश में शामिल होने की संभावना है, उनसे केस का अनुसंधान और पर्यवेक्षण कराना न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है. संबंधित थानेदार एवं डीएसपी की अपराधियों के साथ सांठ-गाँठ एवं उनकी संलिप्तता की जाँच की जाए.

२.      संबंधित थाना प्रभारी और डीएसपी को वहाँ से तुरंत प्रभाव से स्थानांतरित किया जाए एवं उनपर कर्तव्य में लापरवाही बरतने हेतु विभागीय कार्रवाई की जाए. विदित हो कि इन्होने ह्त्या में शामिल अभियुक्तों के कुर्की-जब्ती हेतु न्यायालय के आदेश पर कोई कार्रवाई न कर झूठी कागजी-खाना-पूर्ती की थी.

३.      मृतक के आश्रितों को पच्चीस लाख रूपए बतौर मुआवजा दिए जाएँ.

४.      मृतक के परिजनों को संलिप्त अपराधियों से आज भी जान का खतरा बना हुआ है, उनकी सुरक्षा हेतु उचित व्यवस्था की जाए.

५.      समाज में भ्रष्टाचार तथा अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे समाजसेवियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु विशेष प्रावधान किए जाएँ.