मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

नागरिक अधिकार मंच इस आंदोलन में देशहित हेतु शामिल जरुर है, पर इन प्रश्नों के साथ.

जन लोकपाल विधेयक कमोवेश अब अन्ना हजारे लोकपाल विधेयक बनते जा रहा है. अन्ना हजारे तो मात्र एक चेहरा हैं जो भारतीय जनमानस के मन में भ्रष्टाचार के विरुद्ध उत्तेजना को प्रदर्शित करने हेतु चुन लिए गए हैं. पर शायद वे भी सफलता के मद से मदहोश होने लगे और अब सरकारों और मुख्यमंत्री को प्रमाणपत्र बांटने लगे. वे महाराष्ट्र और दिल्ली में रहकर जन लोकपाल विधेयक हेतु समर्थन जुटाने का काम करने में लगे रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा. अरविंद केजरीवाल तो स्वयं समाज सेवा का मार्केटिंग करते हैं और पूरे देश में आईएस लॉबी में संपर्क रखकर अपना प्रचार-प्रसार करने में मशगूल रहते हैं. यही लोग तो हैं जो सरकार और समाज सेवियों के बीच मैनेजर की भूमिका में नजर आते हैं. पिता -पुत्र को कमिटी में रखने का कोई मतलब नहीं है. कई दशकों से संघर्षरत मेधा पाटेकर का इस पूरे एपिसोड से संबद्ध ना रहना आंदोलन के अधूरेपन को दर्शाता है. नागरिक अधिकार मंच इस आंदोलन में देशहित हेतु शामिल जरुर है, पर इन प्रश्नों के साथ.

अन्ना के साथ खड़े हुए करोड़ों हाथ


बक्सर, नगर संवाददाता : भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की चिंगारी अब आग का रूप ले चुकी है। पूरे जिले में शुक्रवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरू हुआ। जिसमें दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर राजनीतिक दलों के लोगों ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में शामिल होने का ऐलान किया। वहीं, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक दिवसीय सांकेतिक उपवास रख जन लोकपाल बिल के विधेयक का समर्थन किया।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रखा उपवास

गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आमरण अनशन को नैतिक समर्थन देने के लिए युवा क्रांति व नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस चौकी के समीप एक दिवसीय उपवास रखा। दिनभर के उपवास के बाद एक सभा का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता मंच के संयोजक शिवप्रकाश राय ने की। उन्होंने कहा कि जन लोकपाल विधेयक को मिल रहे जन समर्थन से राजनीतिक दलों को यह समझ जाना चाहिये कि भ्रष्टाचार से आमजन कितने परेशान हैं। मंच संचालन राकेश रत्न राय व बजरंगी सिंह ने किया। इस मौके पर नीरज श्रीवास्तव, प्रो.परमात्मा पाठक, प्रो.श्यामजी मिश्रा, डा.वंशीधर गिरी, रोहतास गोयल, मधुकर आनंद, उपेन्द्र दूबे, डब्लू यादव, प्रियरंजन राय, पिंटू चौबे व अधिवक्ता तेज प्रताप सिंह छोटे समेत अनेक समाजसेवी शामिल थे।

विद्यार्थी परिषद ने चलाया हस्ताक्षर अभियान

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर शुक्रवार को कोचिंग संस्थाओं में जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाया। इस दौरान छात्र नेताओं ने कहा कि भ्रष्टाचार ने देश को तबाह कर दिया है। युवा वर्ग इसे अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता। इसलिये वे लोग अन्ना हजारे के मसौदे के समर्थन में पूरे युवा वर्ग को एकजुट करने के लिए सड़क पर उतरे हैं। अभियान का नेतृत्व परिषद के नगर मंत्री रामजी सिंह ने किया। अभियान में श्यामजी वर्मा, गंगाधर सर्राफ, राजू सिंह, आशीष, अतुल, अनुराग व सोनू सिंह आदि शामिल थे।

आंदोलन में कूदा ग्राहक पंचायत

भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम को बक्सर जिला ग्राहक पंचायत ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। पंचायत के अध्यक्ष रोहतास गोयल के नेतृत्व में संगठन के कई कार्यकर्ता शुक्रवार को वीर कुंवर सिंह चौक पर आयोजित उपवास कार्यक्रम में शरीक हुए। इस मौके पर श्री गोयल ने कहा कि अन्ना की जलायी आग अब भ्रष्टाचार को जला कर ही बुझेगी। इस मौके पर पंचायत के प्रदेश प्रभारी प्रदीप केशरी, रामआशीष यादव, टुन्नू राय व अशोक कुमार राय आदि मौजूद थे।

माकपा ने किया अनशन

अन्ना हजारे के समर्थन में भारत की कम्रूूनिंस्ट पार्टी मा‌र्क्सवादी के कार्यकर्ताओं ने शहीद भगत सिंह पाक में एक दिवसीय अनशन किया। इस मौके पर पार्टी के जिला सचिव का.गणेश राम ने कहा कि जन लोकपाल बिल को सरकार तुरंत मान ले नहीं तो आम जनता मान लेगी कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करना नहीं चाहती। श्री राम ने अन्ना हजारे की मांग तुरंत नहीं माने जाने पर आंदोलन और तेज करने की बात कही। धरना का नेतृत्व संजय कुमार यादव व मंच संचालन गुड्डू शर्मा ने किया। इस मौके पर वीरेन्द्र कुमार राम, महंगू राम, जनार्दन सिंह यादव, विंध्याचल राय व मयनुद्दीन अंसारी आदि मौजूद थे।

लायंस भी हुआ मुहिम में शामिल

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में लायंस क्लब आफ डुमरांव भी शामिल हो गया है। क्लब के लोगों ने जन लोकपाल बिल पर जागरुकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। क्लब के अध्यक्ष सह वार्ड पार्षद धीरज कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज के लिए नासूर बन चुका है। ऐसे में एक सख्त कानून की जरूरत है जिससे भ्रष्टाचारियों में भय का वातावरण बने। साथ ही इसके दायरे में देश के शीर्ष पद व शीर्ष संस्थायें भी रहें।

युवा भारत नहीं सहेगा भ्रष्टाचार


बक्सर, नगर संवाददाता : भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का एक मौका क्या मिला, समाज के हर वर्ग एकजुट होने लगे। इस मुद्दे पर दैनिक जागरण को कई युवाओं ने बताया कि नई पीढ़ी भ्रष्ट समाज में जीना नहीं चाहती। इसलिये व्यवस्था में बदलाव जरूरी है।

युवा नीरज श्रीवास्तव ने कहा कि यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है। भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा प्रभावित युवा वर्ग है। अब यह सब ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है। राजनीतिक दलों को यह बात समझ लेना चाहिये। मधुकर आनंद का कहना था कि अन्ना हजारे जैसे वृद्ध हमलोगों के लिए लड़ सकते हैं तो फिर हमलोग केवल उन्हें साथ क्यों नहीं दे सकते। यह आंदोलन बड़ी क्रांति का रूप लेगा। युवा राकेश रत्‍‌न राय का कहना है कि भ्रष्टाचार किसी अकेले की समस्या नहीं है। नेताओं को समझना चाहिये कि उनके बच्चे भी इससे प्रभावित हैं। प्रियरंजन राय ने कहा कि बस देश से भ्रष्टाचार मिट जाये तो हम दुनिया में सबसे आगे होंगे। उन्होंने जन लोकपाल बिल को जल्द लागू करने की मांग की। चंद्रभूषण राय ने कहा कि देश के विकास में भ्रष्टाचार बाधक है। इसे हम लोग खत्म करके ही दम लेंगे। आरटीआइ कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने कहा कि जन लोकपाल बिल पारित होने से भ्रष्टाचार के जांच में जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी। तब कोई भी खुलेआम देश का पैसा लूट कर बाहर के बैंकों में नहीं रख सकेगा।

अन्ना हजारे के समर्थन में आए बिहार के लोग

अन्ना हजारे के समर्थन में आए बिहार के लोगपटना। जन लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर नई दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के समर्थन में बिहार भी खड़ा नजर आ रहा है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इसका समर्थन किया है।

नागरिक अधिकार मंच के महासचिव रमेश चौबे ने बुधवार को कहा है कि यदि अन्ना की मांगों को केन्द्र सरकार द्वारा नहीं माना गया तो मंच के लोग 17 अप्रैल से सामूहिक उपवास पर बैठेंगे।

इधर, राज्य के उपमुख्यमंत्री मोदी ने भी निजी तौर पर इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा है, "मैं अन्ना की मांग का निजी तौर पर समर्थन करता हूं। बिहार ने तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पहले ही प्रारम्भ कर दी है।" नगारिक अधिकार मंच के बैनर तले मंगलवार को पटना में करीब 100 सामाजिक कार्याकर्ताओं और छात्रों ने उपवास रखा।

इधर, इंडिया अगेंस्ट करप्शन, पटना के समन्वयक डा़ रत्नेश चौधरा ने अन्ना के समर्थन के लिए एसएमएस अभियान चला रखा है। वे कहते हैं कि इस आंदोलन को

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

मांगी सूचना मिली जेल

आजादी के साठ वर्ष बाद भी नौकरशाही शासकवादी मानसिकता से उभर नहीं पाई है। नौकरशाह सरकारी नौकर जैसा कम और शासक जैसा व्यवहार ज्यादा करते है। कुछ ऐसा ही दिखता है बिहार में, जहॉ इन नौकरशाहों से आम जनता सवाल पूछे यह इनसे बरदाश्त नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि राज्य में इस कानून के तहत सूचना मांगनें वालों को झूठे और संगीन आरोपों में फंसाकर जैल में बंद करने की अनेक घटनाएं सामने आई हैं।
बिहार के शिव प्रकाश राय पर बक्सर के पूर्व जिलाधिकारी ने राय पर 25 हजार रूपये प्रतिमाह रंगदारी टैक्स मांगने का आरोप लगाया। झूठे आरोप में उन्हें जेल में बंद कर दिया गया और 29 दिनों के बाद रिहा किया गया। राय का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत इंदिरा आवास योजना का लाभ पाने वाले लोगों का ब्यौरा मांगा था।
एक अन्य मामले में नालंदा जिले के पुरषोत्तम प्रसाद को भूमि सुधारों की जानकारी मांगने पर मिट्टी का तेल चुराने के झूठे आरोप में फंसा दिया गया। सेना से रिटायर हो चुके चन्द्रदीप सिंह की कहानी इनसे भी बुरी है। उन्हें मानेर में एक महिला से बलात्कार की कोशिश के मामले में फंसाया गया क्योंकि चन्द्रदीप ने पुलिस से अपने पुत्र और पुत्री की हत्या की जांच की जानकारी मांगी थी। एक निर्माणाधीन ओवरब्रिज की जानकारी मांगने पर जयप्रकाश को सरकारी सेवकों को काम न करने देने और निर्माण कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगा।
नौकरशाहों का यह रवैया सिद्ध करता है कि वे सूचना के कानून के माध्यम से पूछे गए सवालों का जवाब देना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। सदियों से चली आ रही शासकवादी मानसिकता से वे आज भी उबर नहीं पाए हैं।

ईमानदार और कड़क आईपीएस अफसरों के खिलाफ साजिश


राज्य के दो दर्जन आईपीएस पर गंभीर आरोप है, लेकिन इस खबर के पीछे की सच्चाई कुछ और बयां करती है। हकीकत यह है कि इसका खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) से किया है। मिली जानकारी के अनुसार बक्सर के शिवप्रकाश राय को इस संबंध में जो सूचना गृह विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी धीरेन्द्र मोहन झा ने उपलब्ध करायी है उसके अनुसार राज्य के दो दर्जन आईपीएस पर विभिन्न तरह के आरोप हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि राज्य के एक वरिष्ठ नौकरशाह की पत्नी से आवेदक शिवप्रकाश राय के अच्छे संबंध हैं। वे उन्हें समाज के लोगों के बीच ‘मदर टेरेसा’ के नाम से संबोधित करते हैं।

इन दो दर्जन आईपीएस के बारे में सरेआम चर्चा होती है कि इनमें अधिकांश पदाधिकारी ईमानदार हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि इन सभी पदाधिकारियों को चुनाव के समय विभिन्न जिलों में चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए भेज सकती है। इसी को लेकर राज्य के कुछ चुनिंदा पदाधिकारी आरटीआई का सहारा लेकर मीडिया के माध्यम से इन अफसरों को चुनाव आयोग के सामने बेनकाब कराना चाहती हैं। लेकिन इनमें अधिकांश पदाधिकारियों पर कोई भी गंभीर आरोप नहीं हैं।

आरोप भी इस प्रकार के हैं कि उन पर चुनाव आयोग भी गंभीर नहीं हो सकता है। मसलन पटना के ग्रामीण एसपी क्षत्रनील सिंह पर पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता योगेन्द्र पाण्डेय को सुरक्षा गार्ड उपलब्ध नहीं कराने का आरोप है। इस मामले में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। आईपीएस अमरेन्द्र कुमार सिंह पर अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने और डीआईजी अजय कुमार वर्मा पर अनुशासनहीनता, आदेश का उल्लंघन एवं उच्च अधिकारियों के विरुद्ध असंसदीय भाषा का प्रयोग करने का आरोप है। भागलपुर के आईजी अमरेन्द्र कुमार अम्बेदकर पर भी गलत आचरण का आरोप है। अजीत ज्वाय पर भी अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने का आरोप हैं।

मोतिहारी के एसपी पारसनाथ पर एक केस को कमजोर करने का आरोप है। एडीजी रेल शफी आलम पर बिना सरकार के अनुमति के विदेश यात्रा करने का आरोप है। डीजी ट्रेनिंग मनोजनाथ पर भी आदेश का उल्लंघन व अमर्यादित पत्राचार करने का आरोप है। लेकिन, इन दोनों अधिकारियों को कैट के आदेश पर दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पर रोक लगा दी गयी है। आरा के एसपी अनिल किशोर यादव पर गंभीर कदाचार के आरोप हैं। डीआईजी प्रशासन पर भी बिना चरित्र सत्यापन के ही आम्र्स लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा हैं। वहीं आईपीएस एच.एन. देवा पर भी बिना टिकट यात्रा करने का आरोप है।

बीएमपी के कमांडेंट अमिताभ कुमार दास के बारे में कहा जाता है कि ये ईमानदार और कड़क अफसर हैं। इन्हें राजद के शासनकाल में लगभग आठ जिलों में कप्तान के रूप में राज्य सरकार ने भेजा था, लेकिन इस सरकार में उन्हें सिर्फ बीएमपी में कमांडेंट के रूप में पदस्थापित किया है। उन पर भी मर्यादा के प्रतिकूल आचरण करने का आरोप है। जबकि कैट ने उन्हें क्लीनचिट प्रदान की है। वहीं इस बारे में राज्य के गृह सचिव अमीर सुबहानी के अनुसार कई आईपीएस अफसरों के खिलाफ आरोप लगे हैं। लेकिन, पूरी जांच-पड़ताल के बाद ही इस संबंध में कुछ कहा जा सकता है।

लड़ने के जज्बे को मिला सम्मान


अपने समाज, आसपास और खुद अपने लिए कुछ करने का माद्दा हो तो फिर इंसान को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे ही हिम्मत का परिचय देने वालों को समाज नमन करता है। फिर चाहे वह भ्रष्टाचार की पोल खोलना हो या अपने शहर व गांव के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना हो। वीडियो के माध्यम से अपनी बात कहनी हो या एक फोटो से सारी कहानी बयां करना हो। चाहे जिस तरह की भी हिम्मत आप दिखाते हों, उसका सम्मान दुनिया करती है। सीएनएन आईबीएन ने आईडिया सैलुलर के साथ मिलकर ऐसे हिम्मती लोगों को सिटीजन जर्नलिस्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया।

बॉलीवुड अभिनेता अभिषेक बच्चन ने ताज होटल में हुए इस अवार्ड समारोह में विजेताओं को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया। सिटिजन जर्नलिस्ट अवार्ड में कुल छह कैटेगरी रखी गई, जिनके विजेताओं को यहां सम्मानित किया गया।

फाइट बैक कैटेगरी में एचएस डिलीमा, मजलूम और शिव प्रकाश राय को सम्मानित किया गया। सेव योर सिटी कैटेगरी में महेन्द्र अग्रवाल, एसके माहेश्वरी और एसएन सिंह विजेता बने। अनीता भार्गव, नीना चौधरी और विजय लक्ष्मी कौशिक को बी द चेंज कैटेगरी में सम्मानित किया गया। फाइट फॉर हर राइट कैटेगरी में अपने अध्यापक के शारीरिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली चौदह लड़कियों में से एक और एश्वर्या शर्मा, किरन कु़मारी व मीतू खुराना सम्मानित की गईं। बेहतरीन वीडियो के लिए प्रकाश ए नाडर और बेहतरीन फोटो के लिए दिल्ली की रितू मेहरा व एलवी श्रीनिवासन को सम्मानित किया गया।

देखें: सिस्टम के खिलाफ की आवाज बुलंद, इनको सलाम

नई दिल्ली। IBN नेटवर्क ने समाज के उन लोगों को सम्मानित किया जिन्होंने सिस्टम में बदलाव के लिए सिटिजन जर्नलिस्ट बनकर लोगों की आवाजें बुलंद की। और इस सम्मान में आइडिया ने IBN नेटवर्क का सहयोग किया। दिल्ली में आयोजित इस खास सम्मान समारोह में अभिषेक बच्चन ने भी उन लोगों का हौसला बढ़ाया


19 जनवरी की रात तीसरे सिटिजन जर्नलिस्ट अवार्ड्स का शानदार आगाज हुआ। सिटिजन जर्नलिस्ट यानि वो आम आदमी जिसने समाज में हो रही गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज बुलंद की और इनके हौसले और जज्बे को प्लेटफॉर्म दिया आईबीएन नेटवर्क ने। इन अवार्ड्स के लिए 6 अलग अलग कैटेगरीज़ में 16 लोगों को चुना गया। सम्मान पाने वाले ये सिटिजन जर्नलिस्ट भले ही आम इंसान हो लेकिन इनका संघर्ष और इनका जज्बा इन्हें खास बनाता है।

रिक्शा चलाने वाले मज़लूम की भले ही सरकार में कोई पैठ ना हो लेकिन उन्होंने बिना घूस दिए अधिकारियों को ना सिर्फ अपना बल्कि अपने जैसे सैकड़ो लोगों को हक देने के लिए मजबूर कर दिया।

शिव प्रकाश राय ने झूठे मामले में जेल में ठूंसे जाने के बावजूद भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम जारी रखी और करोडों रुपयों का हेरफेर करने वाले अधिकारियों को सजा दिलावाई।


वहीं महिलाओं से लोकल ट्रेन में छेड़छाड़ के खिलाफ विजय लक्ष्मी ने बिगुल बजा दिया और महिलाओं के लिए ट्रेनों में बोगी और महिला स्पेशल ट्रेन लेकर ही दम लिया।

किसानों के हक के लिए लड़ता एक किसान

बक्सर। सरकारी गतिविधियों के बारे में जानना हमारा बुनियादी हक़ है। लेकिन आम आदमी अगर इस हक का इस्तेमाल करना चाहें तो व्यवस्था उसकी हिम्मत तोड़ने की पुरजोर कोशिश करती है। सिटीज़न जर्नलिस्ट शिव प्रकाश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ लेकिन उनकी हिम्मत ने एक नई मिसाल कायम कर दी।
शिव प्रकाश राय पेशे से एक किसान हैं। वो बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले हैं। प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत किसानों के लिये जो पैसा आता है वो सरकारी बैंकों के जरिए उनमें बांटा जाता है। शिव प्रकाश ने देखा कि ये किसानों की जरूरत के लिए आने वाला पैसा सही तरीके से नहीं बंट रहा था। फिर उन्होंने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर ये ब्यौरा मांगना चाहा कि किसानों के लिये प्रधानमंत्री रोजगार के तहत कितना रुपया आता है।
बिहार के बक्सर जिले में गांववालों की इतनी ज़मीन है कि प्रधानमंत्री रोज़गार योजना के तहत हर किसान को खेती और सिंचाई के लिए पैसा मिलना चाहिए।
शिव प्रकाश ने इस सिलसिले में सूचना आयोग से जिले के 59 बैंकों से आए हुए रुपयों की जानकारी मांगी। शिव प्रकाश से RTI के जबाव में कहा गया कि ये जानकारी उन्हें जिला अधिकारी से मिलेगी और उसके लिए उन्हें जिला तहसील में दोबारा RTI दाखिल करनी होगी। शिव प्रकाश ने कई अधिकारियों और दफ्तरों के चक्कर लगाए। लेकिन फिर भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई।
2007 में जब शिव प्रकाश अधिकारी से मिले तो जानकारियां देने के बहाने उनसे ज़बर्दस्ती एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। जब शिव प्रकाश ने विरोध जताया तो उन पर रंगदारी और जिलाधिकारी के साथ मारपीट का आरोप लगा दिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
जेल से रिहा होने के बाद शिव प्रकाश ने अपना संघर्ष जारी रखने का फैसला किया। अब उनकी लड़ाई दोहरी थी। शिव प्रकाश ने फैसला किया कि उनके साथ हुए ग़लत व्यवहार के लिए जो अधिकारी दोषी हैं वो उन्हें सजा दिलवाएंगे। इसके अलावा किसानों को मिलने वाले पैसे का ब्यौरा जानने के लिए भी शिव प्रकाश ने अपनी लड़ाई जारी रखी। अपने सवालों के जवाब पाने के लिए वो दफ्तरों और अधिकारियों सरकारी नौकरशाही के लगातार चक्कर काटते रहे। शिव प्रकाश के साथ जो हुआ वो ये दिखाता है कि नौरकशाही अपने खिलाफ लड़ने वालों को कमजोर बनाने की हर संभव कोशिश करती है।
फिर भी शिव प्रकाश ने अपनी लड़ाई जारी रखी और उनका संघर्ष रंग लाया। सूचना आयोग ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए और बहुत जल्द पाया गया कि बक्सर के जिलाधिकारी विशुन देव प्रसाद ग़लत हैं। झूठे मामले में फंसाए जाने को लेकर उनपर 25 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया गया।
हालात आपको चाहे कितना भी कमज़ोर बना दे पर सच्चाई की जंग जीतने का जज्बा खुद में होना चाहिए।