मंगलवार, 10 जनवरी 2012

ह्विसिल ब्लोअर की हत्या की जांच करेगा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

Jan 09, 09:03 pm

पटना, जागरण ब्यूरो
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पिछले माह लखीसराय में एक आरटीआइ एक्टिविस्ट रामविलास सिंह की हत्या की जांच करेगा। आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुई इसकी सूचना सोमवार को सामाजिक संस्था नागरिक अधिकार मंच को दी है। श्री सिंह, 'ह्विसिल ब्लोअर' की भूमिका में थे। इस भूमिका में व्यक्ति भ्रष्टाचार के किसी मामले को उठाता है, संबंधित जांच को मुकाम देने की ईमानदार कोशिश में रहता है।
बहरहाल, नागरिक अधिकार मंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कर जांच की मांग की थी। शिकायत में कहा गया था कि रामविलास सिंह ने राज्य मानवाधिकार आयोग सहित समस्त आला अधिकारियों को अपनी जान पर खतरे की सूचना दी थी। साथ ही धमकी देने वालों के नाम भी बताए थे। इस हत्या के खिलाफ मंच ने राजधानी पटना में 19 दिसंबर को धरना भी दिया था। मंच ने राष्ट्रीय मानवाधिकार से यह भी कहा था के मृतक के परिजनों की जान पर भी खतरा बना हुआ है।

माँगी सूचना मिली मौत

माँगी सूचना मिली मौत, इंडिया टूडे ११ जनवरी २०१२

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

नेशनल आरटीआई फोरम और नागरिक अधिकार मंच का संयुक्त विरोध सभा.


आज 22 दिसंबर 2011 को सहजानंद सरस्वती आश्रमविद्यापति भवन के बगल में (तारामंडल)पटना पर नेशनल आरटीआई फोरमलखनऊ, नागरिक अधिकार मंचपटना एवं अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा 12 बजे से बजे के मध्य विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम किया गया. यह विरोध प्रदर्शन आरटीआई शहीद रामविलास सिंह की दिनांक 08 दिसंबर 2011 को हुई हत्या में आरोपित पुलिसकर्मियों के अभी तक उसी स्थान पर बने रहनेउनके दोष निर्धारण के सम्बन्ध में कोई भी जांच नहीं किये जाने एवं शहीद रामविलास सिंह द्वारा हत्या की बार-बार आशंका जाहिर करने के बाद भी उनके परिवार को राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं दिये जाने विषय में आयोजित किया गया. 
उपस्थित सभी लोगों ने रामविलास सिंह द्वारा बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग समेत समस्त आला अधिकारियों को अपराधियों सहित लखीसराय थाना प्रभारी संतोष कुमार सिंह द्वारा अपने प्राणों को भय बताए जाने के बाद हुई उनकी हत्या होने और आज उनके द्वारा वहीँ नियुक्त हो कर इस हत्या का अनुसन्धान करने को अत्यंत आपत्तिजनक एवं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के सर्वथा विरुद्ध बताया. 
नेशनल आरटीआई फोरमलखनऊ की कन्वेनर डॉ नूतन ठाकुर ने बताया कि यद्यपि आज सूचना का अधिकार अधिनियम पारित हो गया है लेकिन लगभग सभी राज्यों में इसका सही ढंग से अनुपालन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि वे समझती थीं कि सबसे खराब दशा उत्तर प्रदेश की है लेकिन रामविलास सिंह और इससे पहले बेगुसराय के शशिधर मिश्र की हत्या यह बताती है कि बिहार की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है. उन्होंने कहा कि नेशनल आरटीआई फोरम की स्थापना ही उन्होंने और उनके पति यूपी के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने आरटीआई कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के दृष्टिगत किया था. 
नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने कहा कि चूँकि स्वर्गीय रामविलास सिंह ने राज्य सरकार को बार-बार अपने प्राणों का भय बताया और सरकार उनकी हिफाजत करने में असफल रही अतः नैतिकता और क़ानून यह अपेक्षा रखती है कि राज्य सरकार अपनी विफलता के लिए उनके परिवार को समुचित मुआवजा दे.
सामाजिक कार्यकर्ता रजनीश कुमार ने कहा कि ह्त्या की उच्चस्तरीय जाँच  कराई जाए और जिन पुलिस पदाधिकारियों पर पूर्व में ही उन्होंने संदेह व्यक्त किया है उनसे केस का अनुसंधान और पर्यवेक्षण नहीं करा कर इस मुकदमे का अनुसन्धान तत्काल राज्य सीआईडी अथवा सीबीआई को सुपुर्द किया जाए. सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार ने संबंधित थाना प्रभारी को वहाँ से तुरंत प्रभाव से स्थानांतरित करने और उनपर कर्तव्य में लापरवाही बरतने हेतु विभागीय कार्रवाई करने की मांग की. 
इन सभी लोगों ने बिहार के राज्यपाल को अपनी इन मांगो के साथ ज्ञापन सौंपा.


Hindustan Times, Patna, 22.12.2011, Main Page


सोमवार, 19 दिसंबर 2011

आर.टी.आई.एक्टिविस्ट श्री रामविलास सिंह की निर्मम ह्त्या के विरोध में धरना .




लखीसराय जिले के जुझारू आर.टी.आई. एक्टिविस्ट श्री रामविलास सिंह की अपराधियों द्वारा दिन दहाड़े ह्त्या की गयी. यह सर्वविदित है कि उन्होंने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग समेत समस्त आला अधिकारियों को संभावित खतरे से आगाह किया था तथा ह्त्या में शामिल अपराधियों के नाम समेत बताया था कि वे मेरी जान ले सकते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस पदाधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने पर सूचना के अधिकार के तहत उन पर किए जा रहे कार्रवाई का ब्योरा भी माँगा था तथा भ्रष्ट डीएसपी के संपत्ति का ब्योरा भी माँगा था. बावजूद इसके संवेदनहीन पदाधिकारियों द्वारा हत्याभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना पुलिस पदाधिकारियों की ह्त्या के साजिश में शामिल होने के कयास को पुख्ता करती है. इस ह्त्या के खिलाफ नागरिक अधिकार मंच द्वारा पटना के आर.ब्लॉक. चौराहा पर दिनांक १९/१२/२०११ दिन सोमवार को ११ बजे दिन से ५ बजे शाम तक धरना का आयोजन किया गया. इस धरने की प्रमुख मांगे हैं-

१.      इस ह्त्या की उच्चस्तरीय जाँच  कराई जाए, जिन पुलिस पदाधिकारियों पर पूर्व में ही उन्होंने संदेह व्यक्त किया है तथा जिनके इस ह्त्या के साजिश में शामिल होने की संभावना है, उनसे केस का अनुसंधान और पर्यवेक्षण कराना न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है. संबंधित थानेदार एवं डीएसपी की अपराधियों के साथ सांठ-गाँठ एवं उनकी संलिप्तता की जाँच की जाए.

२.      संबंधित थाना प्रभारी और डीएसपी को वहाँ से तुरंत प्रभाव से स्थानांतरित किया जाए एवं उनपर कर्तव्य में लापरवाही बरतने हेतु विभागीय कार्रवाई की जाए. विदित हो कि इन्होने ह्त्या में शामिल अभियुक्तों के कुर्की-जब्ती हेतु न्यायालय के आदेश पर कोई कार्रवाई न कर झूठी कागजी-खाना-पूर्ती की थी.

३.      मृतक के आश्रितों को पच्चीस लाख रूपए बतौर मुआवजा दिए जाएँ.

४.      मृतक के परिजनों को संलिप्त अपराधियों से आज भी जान का खतरा बना हुआ है, उनकी सुरक्षा हेतु उचित व्यवस्था की जाए.

५.      समाज में भ्रष्टाचार तथा अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे समाजसेवियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु विशेष प्रावधान किए जाएँ.

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

हर घर से हो शंखनाद

नागरिक अधिकार मंच की पदयात्रा औरंगाबाद पहुंची
भ्रष्टाचार आज देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है. इसकी तपिश से आम लोग जल रहे हैं. सभी अपने-अपने तरीके से इसके खिलाफ लड़ाई की बात कर रहे हैं. पार्टियां भी एकजुट हो रही हैं. कोई रथयात्रा निकाल रही है, तो कोई पदयात्रा कर लोगों को इससे लड़ने के लिए जगरूक कर रही है.
बुधवार को जिले में भी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कई पार्टियों द्वारा कार्यक्रम किये गये. अभाविप ने जनजागरण यात्रा रथ निकाला, भाकपा(माले ) ने नुक्कड़ सभा की, तो वहीं नागरिक अधिकार मंच ने पदयात्रा निकाल कर लोगों को इससे लड़ाई तेज करने का आह्वान किया.
औरंगाबाद (सदर) : देश में व्याप्त भ्रष्टाचार व मानवाधिकार हनन के खिलाफ युवा नेता भरत सिंह नागरिक अधिकार मंच के तहत पदयात्रा शुरू की, जो बुधवार को शहर पहुंची. प्रदेश अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह पदयात्रा बिहार के बक्सर जिले से प्रारंभ हुई थी, जो 14वें दिन औरंगाबाद पहुंची.
यहां रमेश चौक पर एक नुक्कड़ सभा की गयी. इसमें वक्ताओं ने कहा कि देश और राज्य का विकास छात्रों, नौजवानों, किसानों और मजदूरों के आपसी सहयोग के बिना संभव नहीं है.
यह पदयात्रा संपूर्ण बिहारवासियों के अधिकारों एवं सद्भावना के लिए की जा रही है, ताकि सभी अपने अधिकारों को समझ कर जगरूक हो सकें. जाति, धर्म, मजहब से ऊपर उठ कर भ्रष्टाचार का विरोध कर नये बिहार के निर्माण के लिए संकल्पित हो.
आपसी भाईचारे के साथ भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध शंखनाद करें. हरेक घर में लोग बेरोजगार व लाचार हैं. इसके लिए सरकार के पास कोई योजनाएं नहीं है. पदयात्रा में गोपाल सिंह, विद्यानंद सिंह, जितेंद्र सिंह, मार्कडेय त्रिवेद्वी, विमलेश कुमार सिंह शामिल थे.

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

भगवान अब शैतान बन गए हैं !!


डॉक्टर को धरती पर भगवान का अवतार समझा जाता है| ईश्वर-प्रदत्त जीवन को बचाने का काम इन्हीं के जिम्मे है| भगवान की दुआ काम करे ना करे डॉक्टर की दवा असर दिखाती है और प्रतिदिन इनके बदौलत लाखों जीवन जीने लायक बनते हैं| पर, धरती के इस भगवान में शैतान का रूप दिखता है तो घोर निराशा होती है|
ऐसी ही एक घटना का गवाह और शिकार मैं स्वयं बना| विगत 17 अक्टूबर को मेरे बेटे अनुराग कश्यप की तबियत खराब हो गयी थी, उसे काफी तेज बुखार था| पटना के प्रसिद्द शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ० उत्पल कान्त सिंह के पास परामर्श हेतु दिन के तीन बजे ही उनके यहाँ प्रचलित परम्परा के अनुसार दो सौ रूपए परामर्श फी जमा कर नंबर लगा दिया गया था| उनके अटेंडेंट के द्वारा शाम सात बजे आने को कहा गया और मैं अपने बीमार बेटे के साथ समय पर उनके क्लिनिक में पहुँच भी गया| डॉ० साहब भी समय से रोगी देखना शुरू कर चुके थे, रोगियों की संख्या काफी अधिक थी| इतनी अधिक की रात्रि के पौने बारह बजने के बावजूद भी लगभग पचास रोगी लाइन में लगे थे| इसी बीच डॉ० साहब बिना किसी को कुछ सूचित किए चुपके से अपनी गाड़ी में बैठे और अपने घर को चले गए| सभी लोग अवाक् और हताश थे और काफी आक्रोशित भी, पर लाचार थे| कुछ बच्चे तो काफी गंभीर अवस्था में थे और ऊपर से आलम यह कि अब मध्य रात्रि को किसी दूसरे डॉ० से इलाज करा पाना भी लगभग असंभव ही था| “इस डॉ० की यह सनक तो प्रतिदिन लोगों को झेलना पड़ता है”- ऐसा मैं नहीं बल्कि उन्हीं के अनुकर्मी कह रहे थे| मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ| दूसरे दिन सुबह मैंने उसका इलाज दूसरे डॉ० से कराया और अब वह बिलकुल स्वस्थ है| मैंने इस बाबत डॉ० उत्पल कान्त जी के ईमेल (utpalkant.singh@yahoo.co.in) पर लिखित विरोध दर्ज कराया तथा उन्हें उतनी ही संख्या में रोगियों का नंबर लगाने की सलाह दी, जितने को वे देख पायें, ताकि शेष रोगी दूसरे डॉ० से इलाज करा सकें| मुझे नहीं पता वे इस पर अमल करेंगे या बच्चों को अपनी सनक का शिकार बनाते रहेंगे|
दूसरी घटना का जिक्र करना चाहूँगा, जिसे औरंगाबाद के श्रीकृष्णनगर मोहल्ले में रहनेवाले मनीष कुमार एवं अरुन्जय कुमार गौतम ने बताया| इसमें औरंगाबाद सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉ० तपेश्वर प्रसाद ने तो अमानवीयता की सारी हदों को पीछे छोड़ दिया| ओबरा प्रखंड के खरांटी में ब्याही एक लडकी को ससुराल वालों ने मिट्टी तेल छिड़ककर जला दिया (लड़की पक्ष के अनुसार), लाश दो दिन तक घर में ही पड़ी रही| जब लड़की के मायके वालों ने पुलिस को सूचित किया तो लाश सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया| वहाँ, लाश के पोस्टमार्टम रिपोर्ट लिखने हेतु लड़की के परिजन से डॉ० साहब ने बीस हजार रूपए माँगनी शुरू कर दी| क्या हालत होगी उस बाप की जिसकी बेटी जलाई जा चुकी है और उसका रिपोर्ट देने हेतु डॉक्टर उससे पैसे की मांग करे !
इसी तरह पीएमसीएच के प्रसूति-विभाग के वार्ड संख्या-जी में भर्ती मुजफ्फरपुर के बी०पी०अखिलेश जी की पत्नी का ऑपरेशन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दो-दो बार करना पड़ा| बी०पी०अखिलेश के अनुसार इस वार्ड में भर्ती सभी मरीजों को एक ही दवा दी गयी, जो सबों को रिएक्शन किया और सभी को कै-दस्त होने लगा| आनन-फानन में परिजनों द्वारा इसकी सूचना वार्ड-प्रभारी और अधीक्षक को भी दी गयी, पर किसी ने इसका कोई रेस्पोंस नहीं लिया| बाद में इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से भी की गयी|
नागरिक अधिकार मंच के अध्यक्ष श्री शिवप्रकाश राय ने सूचना के अधिकार के तहत राज्य के मंत्रियों के इलाज पर खर्च होनेवाले रूपए का ब्योरा निकाला है| इसमें एक-एक वर्ष में कई मंत्रियों ने दस-दस लाख रूपए तक खर्च दिखाया है, जबकि कभी उनके गंभीर रूप से बीमार होने की खबर नहीं मिली| दूसरी ओर न्यूमोनिया से पीड़ित बच्चे दो सौ पचास रूपए के औक्सीजन के अभाव में प्रत्येक दिन काफी संख्या में मर रहे हैं|
क्या इससे ऐसा नहीं लगता कि भगवान अब शैतान बन गए हैं ?

भ्रष्टाचार के खिलाफ शहर में पदयात्रा


औरंगाबाद, कार्यालय संवाददाता :

भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार हनन के खिलाफ नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले निकली पदयात्रा बुधवार को औरंगाबाद पहुंची। जसोइया स्थित महाराणा प्रताप की मूर्ति पर माल्यार्पण कर यात्रा की शुरुआत की गई। भरत सिंह के नेतृत्व में निकली पदयात्रा करमा मोड़, समाहरणालय, रमेश चौक बाजार होते हुए गुजरी। यात्रा का जिक्र करते हुए भरत ने कहा कि उद्देश्य लोगों को जगाना है। बिहार की क्रांतिकारी जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट करना, विकास राशि का हिसाब मांगने के लिए जनता को संगठित करना, मानवाधिकार हनन के खिलाफ जनमत तैयार करना एवं सूचना के अधिकार, शिक्षा के अधिकार एवं सेवा के अधिकार के प्रति लोगों को जागरूक करना है। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि मैट्रिक पास को एक हजार, इंटर को पन्द्रह सौ, बीए को दो हजार, एमए को चार हजार, पीएचईडी को पांच हजार एवं व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करने वालों को दो हजार रुपए दी जाए। भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा कि यह रोग भ्रष्टाचारियों के खून में हिमोग्लोबिन की तरह घूस गया है। सांसद एवं विधायक अपनी सुविधा के लिए एक हो जाते हैं परंतु आम जनता के सवाल एवं भ्रष्टाचार मिटाने के संकल्प पर कभी एक नहीं हुए। पदयात्रा में मंच के अध्यक्ष शिवप्रकाश राय, किसान नेता भाई गोपाल, भोजपुर के जिलाध्यक्ष विद्यानंद सिंह, जितेन्द्र सिंह, मार्कण्डेय त्रिवेदी, नागेन्द्र सिंह, अलखदेव पासवान शामिल थे।