सोमवार, 2 अप्रैल 2012

बिहार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन से संबंधित खबरों से संबंधित शिकायत.



सेवा में,

सचिव,
भारतीय प्रेस परिषद, ८, सूचना भवन,
सी.जी.ओ.कम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली-११०००३

विषय- बिहार में पत्रकारों पर दबाव की जाँच के सम्बन्ध में.

आदरणीय महोदय,
बिहार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन से संबंधित खबरों से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु उत्सुक हूँ और इसकी पुष्टी हेतु विन्दुवार कुछ तथ्यों को आपकी जानकारी में देना चाहता हूँ, जो निम्नलिखित हैं-

१. जुलाई २०११ में जनता के दरबार में मुख्यमंत्री में प्राप्त शिकायतों का ब्योरा नागरिक अधिकार मंच के बैनर तले मैंने सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किया था जिसके आधार पर पूरे प्रकरण को महुआ न्यूज चैनल पर दिखाया गया था. पुनः संशोधित सूचना प्राप्त होने पर इसे अक्टूबर में प्रसारित किया गया था. स्वाभाविक रूप से इस प्रसारण में मुख्यमंत्री जन शिकायत कोषांग द्वारा प्राप्त शिकायतों पर कोई संज्ञान नहीं लिए जाने की खबर थी, जो वास्तविकता को बयान कर रही थी. इस खबर से बौखलाए माननीय मुख्यमंत्री के दबाव में चैनल हेड ने ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी, रिपोर्टर कुलभूषण जी सहित इस खबर को प्रसारित करने के लिए जिम्मेवार पूरी टीम को महुआ न्यूज से निकाल बाहर किया.

२. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव कटिहार में था जिसे मुख्यमंत्री ने किशनगंज में प्रस्तावित किया था. उनके प्रस्ताव के विरोध में विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया था तथा इसमें विरोधी दल के एक सांसद तथा पाँच विधायकों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पर, इस समाचार को किसी ने भी जगह नहीं दी.

३. बियाडा जमीन घोटाले तथा चारा घोटाला में माननीय मुख्यमंत्री की संलिप्तता के सम्बन्ध में बिहार विधान सभा में जोरदार हंगामा हुआ था, पर यह खबर मीडिया में जगह नहीं पा सकी.

४. जदयू नेता और वर्षों से पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे विनय कुमार सिन्हा के निवास एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर आयकर दस्ते की छापेमारी में साढ़े चार करोड़ नकद बरामद किए गए. आयकर की छापेमारी में कई और चौंकानेवाले दस्तावेज मिले हैं. सिन्हा के पास राजधानी में पचास आवासीय फ्लैट है जिसके कागजात आयकर विभाग ने बरामद किए. विनय कुमार सिन्हा जदयू के कोषाध्यक्ष अब भी हैं. ये समता पार्टी के जमाने से पार्टी के कोषाध्यक्ष बने हुए हैं. मुख्यमंत्री बनने तक नीतीश कुमार बोरिंग रोड स्थित इन्हीं के आवास पर रहा करते थे. जदयू के विधान पार्षद रहे सिन्हा के पास कई कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटरशिप के कागजात भी बरामद हुए हैं. पर इतने बड़े न्यूज को प्रभात खबर को छोड़ दें तो किसी भी अखबार में पर्याप्त जगह नहीं मिली और ना ही न्यूज चैनलों ने इसे प्रसारित किया.

५. वर्ष २००५-०६ से मई २०११ तक प्रिंट तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया को भुगतान किए गए रुपयों का ब्योरा आप संलग्नक में  देख सकते हैं, इससे मीडिया के सुशासन-गुणगान की वजह जानने में मदद मिल सकती है.

६.अखबारों में विज्ञापन घोटाले का खेल जारी है. आप १६ जुलाई २०११ के हिन्दुस्तान का अवलोकन करें राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (बिहार सरकार) द्वारा पृष्ठ ९ पर बड़ा सा रंगीन विज्ञापन निकाला गया था. फिर, उसी विज्ञापन को पृष्ठ संख्या १० पर Black & White में निकाला गया. यह सरकारी पैसे को सीधे तौर पर हिन्दुस्तान के मालिक के खाते में स्थानांतरित कर देना नहीं तो और क्या है ?

७. अंत में मैं श्री विनय शर्मा जी के आवेदन को भी संलग्न करना चाहूँगा. इन्होने मीडिया के दबाव में काम करने से संबंधित तथ्यों का सिलसिलेवार उल्लेख किया है. अनुलग्नक में आप इसे देख सकते हैं.

विश्वासी-
शिवप्रकाश राय
अध्यक्ष सह संस्थापक न्यासी
“नागरिक अधिकार मंच”,
गली न०- २, धोबी घाट,
चरित्रवन, बक्सर (बिहार)

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