सूचना के अधिकार पर काम करने के उपरांत प्राप्त अनुभवों से इसका दायरा बढाते हुए व्यापक नागरिक हितों की पूर्ति के लिए अपने सक्रिय साथियों से विचार विमर्श के उपरांत नागरिक अधिकार मंच के गठन की योजना बनी. इस मंच के माध्यम से विधिक तरीके से व्यापक नागरिक हितों की पूर्ति हेतु संघर्ष किया जाएगा.
शनिवार, 17 सितंबर 2011
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
लोकतंत्र में जनता मालिक सरकारी लोग सेवक : आभा
सूचना का अधिकार ग्राम स्वराज विषय पर एक सेमिनार आयोजित
समस्तीपुर, काप्र : नागरिक अधिकार मंच के तत्वावधान में सोमवार को सूचना का अधिकार ग्राम स्वराज विषय पर एक सेमिनार का आयोजन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के सभा भवन में किया गया। इसे संबोधित करते हुए सद्भावना बिहार के अध्यक्ष आभा कुमार ने कहा कि जबतक प्रत्येक नागरिक सूचना के अधिकार को नहीं जानेंगे तब तक ग्राम स्वराज का सपना पूरा नहीं होगा। मुख्य वक्ता के रूप में मंच के राज्य अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने उपरोक्त विषय पर गंभीरता से प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र में जनता ही मालिक होता है, सरकार और उसमें बैठे लोग जनता के सेवक हैं। इसमें मालिक का यह हक है कि उसके क्षेत्र में क्या काम हो रहा है सेवक उसे जानकारी देता रहे। सेमिनार को मो. इमरान, ए हादी, मो. ऐनूल हक, दिनेश कुमार, जयशंकर ठाकुर, पूनम देवी, उपेन्द्र राय, ठाकुर विक्रम सिंह, रघुनाथ राय आदि ने संबोधित किया। जबकि पूर्व में वैशाली के रंजीत पंडित, बीपी अखिलेश, हेमनारायण विश्वकर्मा आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता सुरेन्द्र चौधरी ने की। सेमिनार के समापन के पूर्व नागरिक अधिकार मंच जिला इकाई का गठन भी किया गया। इसमें ए हादी सचिव, ठाकुर विक्रम सिंह अध्यक्ष, एनूल हक संरक्षक, इमरान मीडिया प्रभारी, जयशंकर ठाकुर उपाध्यक्ष, रमेश राय संयुक्त सचिव, सुरेन्द्र राय, पूनम देवी, प्रमोद कुमार पप्पू, मो.अय्यूब, नंदकिशोर राय, मो. गयासुद्दीन, असकार अली आदि सदस्य मनोनीत किए गए।
समस्तीपुर, काप्र : नागरिक अधिकार मंच के तत्वावधान में सोमवार को सूचना का अधिकार ग्राम स्वराज विषय पर एक सेमिनार का आयोजन अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के सभा भवन में किया गया। इसे संबोधित करते हुए सद्भावना बिहार के अध्यक्ष आभा कुमार ने कहा कि जबतक प्रत्येक नागरिक सूचना के अधिकार को नहीं जानेंगे तब तक ग्राम स्वराज का सपना पूरा नहीं होगा। मुख्य वक्ता के रूप में मंच के राज्य अध्यक्ष शिव प्रकाश राय ने उपरोक्त विषय पर गंभीरता से प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी लोकतंत्र में जनता ही मालिक होता है, सरकार और उसमें बैठे लोग जनता के सेवक हैं। इसमें मालिक का यह हक है कि उसके क्षेत्र में क्या काम हो रहा है सेवक उसे जानकारी देता रहे। सेमिनार को मो. इमरान, ए हादी, मो. ऐनूल हक, दिनेश कुमार, जयशंकर ठाकुर, पूनम देवी, उपेन्द्र राय, ठाकुर विक्रम सिंह, रघुनाथ राय आदि ने संबोधित किया। जबकि पूर्व में वैशाली के रंजीत पंडित, बीपी अखिलेश, हेमनारायण विश्वकर्मा आदि ने संबोधित किया। अध्यक्षता सुरेन्द्र चौधरी ने की। सेमिनार के समापन के पूर्व नागरिक अधिकार मंच जिला इकाई का गठन भी किया गया। इसमें ए हादी सचिव, ठाकुर विक्रम सिंह अध्यक्ष, एनूल हक संरक्षक, इमरान मीडिया प्रभारी, जयशंकर ठाकुर उपाध्यक्ष, रमेश राय संयुक्त सचिव, सुरेन्द्र राय, पूनम देवी, प्रमोद कुमार पप्पू, मो.अय्यूब, नंदकिशोर राय, मो. गयासुद्दीन, असकार अली आदि सदस्य मनोनीत किए गए।
लोगों की जागरूकता से मिलेगा अधिकार
आरा : विधान परिषद के सचेतक नीरज कुमार ने कहा कि राजनीतिक परिवर्तनों से भ्रष्टाचार दूर नहीं हो सकता. आज के दौर में लोकतंत्र अग्नि परीक्षा के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में अब यह जरी हो गया है कि आम लोग अपने हक व अधिकारों के प्रति जागरूक होकर संघर्ष को तेज करें. वे शनिवार को नागरी प्रचारिणी सभागार में सूचना का अधिकार, ग्राम स्वराज विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे.
सेमिनार नागरिक अधिकार मंच के तत्वावधान में आयोजित किया गया था. श्री कुमार ने कहा कि आज लोकतंत्र संक्रमण के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में लोगों को सूचना के अधिकार को हथियार बनाकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए. जब तक आम लोग जागक नहीं होंगे, उन्हें उनका अधिकार नहीं मिल सकता.
नागरिक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शिव प्रकश राय ने सूचना के अधिकार व ग्राम स्वराज पर प्रकाश डालते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को तेज करने हेतु एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र दो खंडों मे बंट गया है. तंत्र लोक पर हावी है. लोक का मुखौटा पहन कर नौकरशाही शोषण व भ्रष्टाचार में लिप्त है.
शिक्षाविद् कन्हैया सिंह ने कहा कि बड़े नेता व अधिकारी गरीब के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में भेजते हैं. सेमिनार में अग्रेनंद चौधरी, प्रो विश्वनाथ चौधरी, जगनारायण सिंह, देवेंद्र प्रसाद, विद्यानंद सिंह, दयानिधि, विजय यादव, रामाशंकर पासवान, विमलेश पांडेय ने विचार रखा.
अध्यक्षता कार्यकारिणी के प्रदेश संयोजक भरत सिंह ने की. सेमिनार के समापन पर मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने विद्यानंद सिंह को भोजपुर और रणजीत सिंह उर्फ डब्बू को रोहतास जिले का अध्यक्ष मनोनीत किया गया.
सेमिनार नागरिक अधिकार मंच के तत्वावधान में आयोजित किया गया था. श्री कुमार ने कहा कि आज लोकतंत्र संक्रमण के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में लोगों को सूचना के अधिकार को हथियार बनाकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए. जब तक आम लोग जागक नहीं होंगे, उन्हें उनका अधिकार नहीं मिल सकता.
नागरिक मंच के प्रदेश अध्यक्ष शिव प्रकश राय ने सूचना के अधिकार व ग्राम स्वराज पर प्रकाश डालते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को तेज करने हेतु एकजुट होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र दो खंडों मे बंट गया है. तंत्र लोक पर हावी है. लोक का मुखौटा पहन कर नौकरशाही शोषण व भ्रष्टाचार में लिप्त है.
शिक्षाविद् कन्हैया सिंह ने कहा कि बड़े नेता व अधिकारी गरीब के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को प्राइवेट विद्यालयों में भेजते हैं. सेमिनार में अग्रेनंद चौधरी, प्रो विश्वनाथ चौधरी, जगनारायण सिंह, देवेंद्र प्रसाद, विद्यानंद सिंह, दयानिधि, विजय यादव, रामाशंकर पासवान, विमलेश पांडेय ने विचार रखा.
अध्यक्षता कार्यकारिणी के प्रदेश संयोजक भरत सिंह ने की. सेमिनार के समापन पर मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने विद्यानंद सिंह को भोजपुर और रणजीत सिंह उर्फ डब्बू को रोहतास जिले का अध्यक्ष मनोनीत किया गया.
शुक्रवार, 12 अगस्त 2011
आरोपों के घेरे में 300 इंजीनियर
जिनके कंधों पर निर्माण और विकास के काम को बोझ है उनके दामन पर दाग भी कम नहीं हैं। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और भवन निर्माण विभाग के करीब 300 अभियंता आरोपों के घेरे में हैं।
कुछ आरोप मामूली किस्म के हैं तो कई गंभीर हैं। कुछ में जवाब मांगकर विभाग सो गया। मगर बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जिसमें जांच पूरी नहीं हुई, पूरी हुई तो 'समीक्षाधीन' है। समीक्षाधीन के अपने-अपने निहितार्थ हैं। ठेकेदार को बेजा फायदा दिलवाना, बिना निर्धारित प्रक्रिया के टेंडर आदेश करना, निर्माण में गड़बड़ी से लेकर बाहरी लोगों से फाइलों पर टिप्पणी लिखवाने तक के आरोप हैं। मुख्यमंत्री की विश्वास यात्रा के दौरान गायब रहने वाले मुजफ्फरपुर के मुख्य अभियंता और कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण मंगायी गयी, जांच पदाधिकारी के मंतव्य की प्रतीक्षा की जा रही है।
तत्कालीन विभागीय मंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे की ग्राम गौरव यात्रा के प्रति उदासीनता दिखाने वाले सीतामढ़ी के कनीय अभियंता के खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी। सूचना के अधिकार कानून के तहत शिवप्रकाश राय द्वारा मांगी गयी सूचना पर ये तथ्य उभर कर सामने आये हैं।
जो स्थिति है ..
* अरुण कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता पीएचईडी अंचल छपरा, मीरगंज जलापूर्ति योजना में प्रावधानों के विरुद्ध प्राक्कलित राशि में 61.67 फीसदी वृद्धि का आरोप। पथ निर्माण विभाग का तकनीकी मंतव्य प्राप्त। निर्णय के लिए संचिका उच्च स्तर पर विचाराधीन।
* नरसिंह पासवान अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिक अंचल मुजफ्फरपुर। बाहरी व्यक्ति से संचिका पर टिप्पणी दिलवाने का आरोप। संचिका उच्च स्तर पर विचाराधीन।
* जयशंकर चौधरी तत्कालीन सहायक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल मधुबनी। रहिका एवं घोघरडीहा जलापूर्ति योजना में संवेदक से 10 फीसदी राशि रिश्वत मांगने का आरोप। स्पष्टीकरण प्राप्त मामला उच्च स्तर पर समीक्षाधीन।
* अरुण कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर। लोक स्वास्थ्य प्रमंडल बेगूसराय में अक्टूबर 2008 को निविदा निष्पादन में अनियमितता का आरोप। लोक स्वास्थ्य प्रमंडल बेगूसराय से निविदा से संबंधित अभिलेख प्राप्त। उच्च स्तर पर जांच के लिए संचिका उपस्थापित।
* नवीन कुमार परमार, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल सहरसा। 1998-99 में आवंटन से अधिक व्यय करने, नलकूपों का निर्माण अधूरा छोड़ देने, निधि का विचलन करने तथा सामग्री खरीद में निर्धारित मापदंड का उल्लंघन करने का आरोप। कैडर विभाजन के कारण झारखंड चले गये। अक्टूबर 2006 को प्रपत्र 'क' में आरोप पत्र गठित कर भेजा गया है। की गयी कार्रवाई की सूचना अप्राप्त।
* .. सचिवालय भवनों की साफ-सफाई एवं रखरखाव की निविदा में अनियमितता का आरोप। मार्च 2008 में मुख्य अभियंता पटना प्रक्षेत्र से प्रतिवेदन की मांग। कई स्मारपत्र के बाद भी अप्राप्त।
* लाल बहादुर सिंह तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरा। निविदा निष्पादन में अनियमितता का आरोप। जुलाई 2009 में जांच प्रतिवेदन लोकायुक्त कार्यालय को उपलब्ध करा दिया गया। फलाफल अप्राप्त।
* बीरेन्द्र कुमार तत्कालीन अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण अंचल मुंगेर। स्थानांतरण-पदस्थापन और संवेदको के बीच कार्यादेन जारी करने में अनियमितता बरतने तथा पटना जंक्शन से चोरी गये एनएससी का उपयोग करने का आरोप। जांच प्रतिवेदन प्राप्त। संचिका उच्च स्तर पर समीक्षाधीन।
* विजय कुमार सिन्हा तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मुजफ्फरपुर । संवेदक को 57.17 लाख का अदेय सहायता पहुंचाने का आरोप। प्रपत्र क में आरोप गति कर विभागीय कार्यवाही चलाने का प्रस्ताव 7 फरवरी 11 को उपस्थापित।
* श्यामा प्रसाद चौधरी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता छपरा। बिना निविदा किये एवं बिना क्रय समिति की अनुशंसा के क्रयादेश जारी करने एवं परिसदन के वृक्षों की अवैध कटाई का आरोप। दिसम्बर 2006 में विभागीय कार्यवाही प्रारंभ। अंतिम निर्णय के लिए मामला समीक्षाधीन।
* मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर बालेश्वर प्रसाद सिंह एवं कार्यपालक अभियंता मुजफ्फरपुर नागेश्वर शर्मा। मुख्यमंत्री की विश्वास यात्रा के दौरान अनुपस्थित रहे। मीनापुर प्रखंड के पानापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अपूर्ण-त्रुटिपूर्ण रहने का आरोप। खाद्य एवं उपभोक्ता के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण से जांच प्रतिवेदन प्राप्त किया गया। दोनों अधिकारियों का स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया। स्पष्टीकरण पर जांच पदाधिकारी के मंतव्य की प्रतीक्षा की जा रही है।
* कनीय अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल सीतामढ़ी, अभी निलंबन में। ग्राम गौरव यात्रा में रुचि नहीं लेने का आरोप। अगस्त 10 में ही विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गयी। डीपी सिंह अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य पटना को जांच संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया। जांच प्रतिवेदन अप्राप्त।
कुछ आरोप मामूली किस्म के हैं तो कई गंभीर हैं। कुछ में जवाब मांगकर विभाग सो गया। मगर बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जिसमें जांच पूरी नहीं हुई, पूरी हुई तो 'समीक्षाधीन' है। समीक्षाधीन के अपने-अपने निहितार्थ हैं। ठेकेदार को बेजा फायदा दिलवाना, बिना निर्धारित प्रक्रिया के टेंडर आदेश करना, निर्माण में गड़बड़ी से लेकर बाहरी लोगों से फाइलों पर टिप्पणी लिखवाने तक के आरोप हैं। मुख्यमंत्री की विश्वास यात्रा के दौरान गायब रहने वाले मुजफ्फरपुर के मुख्य अभियंता और कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण मंगायी गयी, जांच पदाधिकारी के मंतव्य की प्रतीक्षा की जा रही है।
तत्कालीन विभागीय मंत्री अश्रि्वनी कुमार चौबे की ग्राम गौरव यात्रा के प्रति उदासीनता दिखाने वाले सीतामढ़ी के कनीय अभियंता के खिलाफ विभागीय कार्यवाही प्रारंभ कर दी गयी। सूचना के अधिकार कानून के तहत शिवप्रकाश राय द्वारा मांगी गयी सूचना पर ये तथ्य उभर कर सामने आये हैं।
जो स्थिति है ..
* अरुण कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन अधीक्षण अभियंता पीएचईडी अंचल छपरा, मीरगंज जलापूर्ति योजना में प्रावधानों के विरुद्ध प्राक्कलित राशि में 61.67 फीसदी वृद्धि का आरोप। पथ निर्माण विभाग का तकनीकी मंतव्य प्राप्त। निर्णय के लिए संचिका उच्च स्तर पर विचाराधीन।
* नरसिंह पासवान अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिक अंचल मुजफ्फरपुर। बाहरी व्यक्ति से संचिका पर टिप्पणी दिलवाने का आरोप। संचिका उच्च स्तर पर विचाराधीन।
* जयशंकर चौधरी तत्कालीन सहायक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल मधुबनी। रहिका एवं घोघरडीहा जलापूर्ति योजना में संवेदक से 10 फीसदी राशि रिश्वत मांगने का आरोप। स्पष्टीकरण प्राप्त मामला उच्च स्तर पर समीक्षाधीन।
* अरुण कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर। लोक स्वास्थ्य प्रमंडल बेगूसराय में अक्टूबर 2008 को निविदा निष्पादन में अनियमितता का आरोप। लोक स्वास्थ्य प्रमंडल बेगूसराय से निविदा से संबंधित अभिलेख प्राप्त। उच्च स्तर पर जांच के लिए संचिका उपस्थापित।
* नवीन कुमार परमार, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल सहरसा। 1998-99 में आवंटन से अधिक व्यय करने, नलकूपों का निर्माण अधूरा छोड़ देने, निधि का विचलन करने तथा सामग्री खरीद में निर्धारित मापदंड का उल्लंघन करने का आरोप। कैडर विभाजन के कारण झारखंड चले गये। अक्टूबर 2006 को प्रपत्र 'क' में आरोप पत्र गठित कर भेजा गया है। की गयी कार्रवाई की सूचना अप्राप्त।
* .. सचिवालय भवनों की साफ-सफाई एवं रखरखाव की निविदा में अनियमितता का आरोप। मार्च 2008 में मुख्य अभियंता पटना प्रक्षेत्र से प्रतिवेदन की मांग। कई स्मारपत्र के बाद भी अप्राप्त।
* लाल बहादुर सिंह तत्कालीन अधीक्षण अभियंता आरा। निविदा निष्पादन में अनियमितता का आरोप। जुलाई 2009 में जांच प्रतिवेदन लोकायुक्त कार्यालय को उपलब्ध करा दिया गया। फलाफल अप्राप्त।
* बीरेन्द्र कुमार तत्कालीन अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण अंचल मुंगेर। स्थानांतरण-पदस्थापन और संवेदको के बीच कार्यादेन जारी करने में अनियमितता बरतने तथा पटना जंक्शन से चोरी गये एनएससी का उपयोग करने का आरोप। जांच प्रतिवेदन प्राप्त। संचिका उच्च स्तर पर समीक्षाधीन।
* विजय कुमार सिन्हा तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मुजफ्फरपुर । संवेदक को 57.17 लाख का अदेय सहायता पहुंचाने का आरोप। प्रपत्र क में आरोप गति कर विभागीय कार्यवाही चलाने का प्रस्ताव 7 फरवरी 11 को उपस्थापित।
* श्यामा प्रसाद चौधरी तत्कालीन अधीक्षण अभियंता छपरा। बिना निविदा किये एवं बिना क्रय समिति की अनुशंसा के क्रयादेश जारी करने एवं परिसदन के वृक्षों की अवैध कटाई का आरोप। दिसम्बर 2006 में विभागीय कार्यवाही प्रारंभ। अंतिम निर्णय के लिए मामला समीक्षाधीन।
* मुख्य अभियंता मुजफ्फरपुर बालेश्वर प्रसाद सिंह एवं कार्यपालक अभियंता मुजफ्फरपुर नागेश्वर शर्मा। मुख्यमंत्री की विश्वास यात्रा के दौरान अनुपस्थित रहे। मीनापुर प्रखंड के पानापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अपूर्ण-त्रुटिपूर्ण रहने का आरोप। खाद्य एवं उपभोक्ता के प्रधान सचिव त्रिपुरारी शरण से जांच प्रतिवेदन प्राप्त किया गया। दोनों अधिकारियों का स्पष्टीकरण प्राप्त किया गया। स्पष्टीकरण पर जांच पदाधिकारी के मंतव्य की प्रतीक्षा की जा रही है।
* कनीय अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमंडल सीतामढ़ी, अभी निलंबन में। ग्राम गौरव यात्रा में रुचि नहीं लेने का आरोप। अगस्त 10 में ही विभागीय कार्यवाही प्रारंभ की गयी। डीपी सिंह अधीक्षण अभियंता लोक स्वास्थ्य पटना को जांच संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया। जांच प्रतिवेदन अप्राप्त।
मंगलवार, 26 जुलाई 2011
सोमवार, 25 जुलाई 2011
नागरिक अधिकार मंच द्वारा आयोजित धरना के संबंध में प्रेस विज्ञप्ति
विषय- नागरिक अधिकार मंच द्वारा एकदिवसीय धरना का आयोजन
तिथि- दिनांक 25/07/2011 दिन सोमवार.
धरनास्थल- आर ब्लाक चौराहा, पटना
शामिल प्रमुख व्यक्ति- नागरिक मंच के अध्यक्ष श्री शिवप्रकाश राय, डॉ* एस.एन.उपाध्याय, पुरंदर सावर्न्य, भोजपुर से भरत सिंह, गोपालगंज से सुरेशचंद्र त्यागी, मुजफ्फरपुर से बीपी अखिलेश, समस्तीपुर से ऐनुल अंसारी, किशोर कुणाल, पुर्नेंदु जी, अजीत चौधरी, हेमंत जी, रणजीत पंडित,बेगुसराय से रंजन जी,आदरणीय अशोक मोती जी.
उद्देश्य- इस धरने को निम्नलिखित मांगों को लक्षित कर आयोजित किया गया -
(1.) राज्य सूचना आयोग में खाली पड़े सूचना आयुक्त के पदों को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों से शीघ्र भरा जाए.
(2.) विगत एक वर्ष में राज्य सूचना आयोग द्वारा किए गए फैसले की जाँच उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश से कराई जाए, खासकर ऐसे सभी मामलों की जिसमें कहने को तो राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारियों द्वारा सूचना के अधिकार के विरुद्ध आचरण करने पर जुर्माना लगाया जाता है, पर, अवैधानिक ढंग से या तो उसे माफ कर दिया जाता है अथवा अपने ही फैसले को कार्यान्वित नहीं करवा पाता. विदित हो कि RTI Act में जुर्माना माफ करने या सूचना आयुक्तों के स्वविवेक से अवैधानिक निर्णय देने का कोई प्रावधान नहीं है.
(3.) मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्तों के पदों पर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को आसीन किया जाए एवं एक सूचना आयुक्त का पद सामाजिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति द्वारा भरा जाए.
ज्ञापन-
1. महामहिम राज्यपाल, बिहार
2. माननीय मुख्यमंत्री, बिहार
3. माननीय नेता, प्रतिपक्ष, बिहार विधान सभा.
शुक्रवार, 22 जुलाई 2011
सूचना आयुक्तों की नियुक्ति हेतु धरने का आयोजन
महाशय,
सूचित किया जाता है कि नागरिक अधिकार मंच के द्वारा दिनांक 25/07/2011 समय 11 AM से 3 PM तक आर ब्लाक चौराहा, पटना में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया है. इस धरने को निम्नलिखित मांगों को लक्षित कर आयोजित किया गया है-
(1.)राज्य सूचना आयोग में खाली पड़े सूचना आयुक्त के पदों को शीघ्र भरने हेतु,
(2.)विगत एक वर्ष में राज्य सूचना आयोग द्वारा किए गए फैसले की जाँच उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश से कराए जाने हेतु,
(3.)मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्तों के पदों पर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को आसीन करने एवं एक सूचना आयुक्त का पद सामाजिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति द्वारा भरे जाने हेतु.
इससे सम्बंधित मांग पत्र महामहिम राज्यपाल (बिहार), माननीय मुख्यमंत्री, बिहार तथा नेता विपक्ष (विधान सभा, बिहार) को समर्पित किया जाएगा.
सूचित किया जाता है कि नागरिक अधिकार मंच के द्वारा दिनांक 25/07/2011 समय 11 AM से 3 PM तक आर ब्लाक चौराहा, पटना में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया है. इस धरने को निम्नलिखित मांगों को लक्षित कर आयोजित किया गया है-
(1.)राज्य सूचना आयोग में खाली पड़े सूचना आयुक्त के पदों को शीघ्र भरने हेतु,
(2.)विगत एक वर्ष में राज्य सूचना आयोग द्वारा किए गए फैसले की जाँच उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश से कराए जाने हेतु,
(3.)मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य सूचना आयुक्तों के पदों पर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को आसीन करने एवं एक सूचना आयुक्त का पद सामाजिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति द्वारा भरे जाने हेतु.
इससे सम्बंधित मांग पत्र महामहिम राज्यपाल (बिहार), माननीय मुख्यमंत्री, बिहार तथा नेता विपक्ष (विधान सभा, बिहार) को समर्पित किया जाएगा.
मंगलवार, 7 जून 2011
पटना में भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक कार्यशाला का आयोजन
नागरिक अधिकार मंच एवं India Rejuvenation Initiative-IRI ने मिलकर विधायक क्लब सभागार, पटना में भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक कार्यशाला का आयोजन किया. मुख्य वक्ता भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री जे. एम. लिंगदोह, श्री एस. पी. ताल्लुकदार (पूर्व सदस्य, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद), श्री शिव प्रकाश राय (अध्यक्ष, नागरिक अधिकार मंच), श्री सुभाष चंद्र सिंह (Retired IPS) तथा अन्य वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए
सोमवार, 6 जून 2011
बिहार के गांवों में स्वराज यात्रा
गांव में अलख जगाए बिना स्वराज व्यवस्था लागू नहीं हो सकती। इसी विचार के साथ बिहार में सामाजिक कार्यकर्ता परवीन अमानुल्लाह और उनके साथियों ने गांवों में स्वराज यात्रा की शुरूआत की है। पहले चरण मे स्वराज यात्रा पटना ज़िले के पांच प्रखण्डों के 25 गांवों में गई।
यात्रा के दौरान गांव गांव जाकर लोगों की बैठक के लिए आमन्त्रित किया जाता। बैठक में लोगों के सामने स्वराज से सम्बंधित चर्चा की जाती ताकि लोग लोकतन्त्र में अपनी हैसियत को समझ सके, और उसके हिसाब से अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है सके। पूरी यात्रा के एक गांव में हुई बैठक की बातचीत की बानगी से समझा जा सकता है -
यात्रा निकालने का तरीका
गांव में घूमकर घोषणा:
गांव में चक्कर लगाकर कुछ साथी कार्यकर्ता माइक पर अनाउंसमेट करके आए -
`स्वराज यात्रा आपके गांव में आई है। इसमें कई सामाजिक कार्यकर्ता दिल्ली, पटना से आए हैं और आपके साथ पंचायत में आपके अधिकार के बारे में बात करना चाहते हैं। आपसे अनुरोध् है कि अधिक से अधिक लोग बैठक में पहुंचे…´
थोड़ी ही देर में बैठक में गांव के बहुत से लोग आ गए। इनमें महिलाएं, व्रद्ध, युवा हर तरह के लोग थे लेकिन गांव के नौजवान की एक बड़ी संख्या या तो खेतों पर काम करने गए हुए थे या पटना में नौकरी पर थी अत: नौजवान की संख्या अपेक्षाकृत कुछ कम ही थी। बच्चे भी उत्सुकतावश बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए थे।
(परिचय)
हम कौन हैं और कौन नहीं है
बैठक की शुरूआत हुई। एक कार्यकर्ता ने परिचय देते हुए कहा, `हम लोग आपके गांव में अलग अलग जगह से इकट्ठा होकर, यह स्वराज यात्रा निकालते हुए पहुंचे हैं…´ हम किसी राजनीतिक दल से नहीं आए हैं। न ही हम कोई चुनाव लड़ रहे हैं। न ही हम किसी गांव में किसी उम्मीदवार को पंचायत चुनाव में जिताने के लिए मुहिम चला रहे हैं। हम लोग स्वराज अभियान से आए हैं जो एक जन-अभियान है और किसी राजनीतिक पार्टी से सम्बंधित नहीं है…
(सरकारी पैसे से मेरा रिश्ता)
हम आपके सामने कुछ बातें रखना चाहते हैं… लेकिन उसके पहले आप सब लोगों से एक सवाल है कि आप लोगों में से कौन कौन टैक्स देता है…
(गांव के अधिकतर लोग टैक्स या कर को नहीं समझे)
कार्यकर्ता: तो अच्छा ये बताए कि आपमें से कौन कौन लोग सरकार को पैसा देते हैं… किसी भी तरीके से सरकार को पैसा कौन कौन देता है…
ग्रामवासी: हम लोग कभी कभी देते हैं… जब मालगुजारी देते हैं तब, मकान खेत आदि खरीदते हैं तब देते हैं…
कार्यकर्ता: ये तो ठीक है लेकिन आपको ध्यान नहीं है आप सारे लोग, हर रोज़ सरकार को टैक्स देते है… जब भी आप कुछ खरीदते है जैसे कि माचिस, साबुन, नमक, पेस्ट, दवाई आदि तो उसमें कीमत के साथ साथ सरकार का हिस्सा भी जुड़ा होता है… जैसे कि अगर 5 रुपए की साबुन खरीदते है तो उसमें करीब एक रुपया सरकार को जाता है… तो इस तरह हम सब लोग मिलकर हर रोज़ सरकार को करोड़ों रुपए देते रहते हैं… इस पैसे से ही सरकार हमें राशन देती है, इन्दिरा आवास देती है, पेंशन देती है, नल लगवाती है, सड़क बनवाती है, आंगनवाड़ी बनवाती है, स्कूल चलाती है… और इसी पैसे से सारे सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह मिलती है… तो ये जो सरकार के काम हैं ये इस सबमें हमारा पैसा ही खर्च होता है…
(जब पैसा मेरा है तो मुझसे पूछते क्यों नही)
लेकिन अब एक बात बताइए कि सरकार के नेता और अपफसरों ने हमसे कभी पूछा कि आपका पैसा, आपके गांव में हम कहां, कैसे, किस काम पर खर्च करें…
ग्रामीण : नहीं… हमसे तो कभी नहीं पूछते…. कभी किसी ने आज तक नहीं पूछा।
कार्यकर्ता: सही बात है…. दिल्ली और पटना में बैठे अधिकारी योजनाएं बनाकर भेज देते हैं और लोक अफसर को दे देते हैं कि जाओ भाई इन्हें गांव में बांट आओ ये अफसर और गांव का मुखिया मिलकर इन योजनाओं को भी खा जाते हैं या अपनों में बांट देते हैं…
अब एक बात बताइए… ये अफसर आपके पैसे से तनख्वाह लेते हैं। लेकिन कभी आकर आपसे कुछ बात पूछते हैं कि फलां योजना लेकर आये हैं… आप बताइए कि इसका लाभ किसको मिलना चाहिए…
ग्रामीण: मुखिया के साथ मिलकर सब तय हो जाता है… जिनके पास पक्के मकान हैं उनको मकान बनाने का पैसा मिल रहा है और, हम गरीबों को कोई कुछ नहीं बताता…
उत्साहजनक रहा है। पांच दिन की इस यात्रा में ही स्वराज अभियान के लिए अनेक नए साथी मिल गए हैं। हालांकि सभी गांवों को एक साथ देखेंगे तो मिला जुला अनुभव रहा है। कई गांवों में तो लगा जैसे स्वराज का विचार सुनते ही लोगों में क्रान्ति की लहर दौड़ती है। कई गांवों में पूरी बात सुनने के बाद जब लोगों से पूछा कि अब क्या करने का इरादा है तो लोग ऐसे देखते रहे मानो उन्होंने कुछ सुना ही न हो। लेकिन कुल मिलाकर कहें तो हमें उम्मीद से अधिक सफलता मिली है। - परवीन अमानुल्ला
(ये सरकारी कर्मचारी हमारे सेवक हैं या मालिक)
कार्यकर्ता: सही बात है… और ये आपके गांव में ही नहीं पूरे देश में… साढ़े चार लाख गांवों में ऐसा ही किया जा रहा है… एक और बात बताइए… आपके गांव में सरकारी कर्मचारी कौन कौन से हैं… जैसे टीचर हैं, पंचायत सेवक है… ऐसे और कौन कौन से कर्मचारी हैं जो आपके गांव में काम करते हैं
ग्रामीण: पटवारी है, ए.एन.एम. है, राशन डीलर है, आंगनवाड़ी है,… हफ्ते में एक दिन डॉक्टर का टर्न है… रोज़गार सेवक है… और भी कुछ लोग हैं।
कार्यकर्ता: तो इन सब कर्मचारियों को तनख्वाह हमारे पैसे से मिलती है… और हमारे लिए काम करने के लिए मिलती है… पर ये कर्मचारी कभी हमसे आकर पूछते हैं कि बताओ क्या करें… हमें ये काम करना है, बताओ कैसे करें, कहां करें… और अगर ये अपना काम ठीक से ना करें तो आप इनका कुछ बिगाड़ सकते हैं… किसी के खिलाफ आप कुछ एक्शन ले सकते हैं… कुछ ऐसा तरीका है कि आप इनके खिलाफ एक्शन ले सकें…
ग्रामीण: तरीका तो है… इनकी शिकायत कर सकते हैं… बड़े अफसरों के पास… पर बड़े अफसर भी तो हमारी नहीं सुनते…
कार्यकर्ता: ठीक बात है… आपकी शिकायत पर किसी कर्मचारी के खिलाफ कोई कोई एक्शन नहीं लिया गया होगा…
कार्यकर्ता: तो जब इनको तनख्वाह हमारे पैसे से मिलती है, हमारे लिए काम काम करने के लिए मिलती है फिर ये अगर हमारे हिसाब से काम न करें तो क्या इनकी तनख्वाह काटने का अधिकार हमारे हाथ में नहीं होना चाहिए… क्या इनके खिलाफ एक्शन लेने का अधिकार हमारे गांव के लोगों को नहीं होना चाहिए… मान लीजिए टीचर टाइम पर नहीं आता या ठीक से नहीं पढ़ाता… अगर गांव के लोगों के हाथ में उसकी तनख्वाह काटने की ताकत होती तो क्या हम सारे लोग मिलकर उसकी तनख्वाह नहीं कटवा देते…. अगर राशन की दुकान कैंसिल करने की ताकत हमारे हाथ में होती तो क्या राशन वाला चोरी करता…
ग्रामीण: हमारे हाथ में ताकत होती तो हम उसे चोरी क्यों करने देते… उसे कहते कि भई सब गरीबों को राशन बांटों….
कार्यकर्ता: एकदम सही बात है…. यही बात हम कहने आए हैं कि अभी आपके हाथ में एक्शन लेने की ताकत नहीं है… इसके लिए एक कानून बनाना पड़ेगा, पंचायती राज में सुधार करके इसे ठीक करना पड़ेगा कि- गांव के कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेने, उनकी तनख्वाह काटने की ताकत सीधी गांव की जनता के हाथ में हो… वे जब चाहें एक साथ बैठकर, खुली बैठक में फैसला ले सकें कि ये आदमी ठीक से काम नहीं कर रहा… इसके खिलाफ ये एक्शन लें…. अगर ऐसी ताकत गांव के लोगों को मिल गई तो गांव में काम करने वाले सारे सरकारी कर्मचारी सुध्र जाएंगे…
…तो अब बताओ कि ऐसा कानून आना चाहिए कि नहीं…
(पंचायती राज कानून में सुधार)
ग्रामीण: बिल्कुल आना चाहिए…
कार्यकर्ता: तो हम ये यात्रा इसी मकसद से निकाल रहे हैं कि गांव गांव में लोग इस बात को समझें और सरकार से ऐसे कानून की मांग करने लगें… इसमें हमें चार चीज़ें मांगनी होंगी…
एक तो- गांव में सरकार द्वारा खर्च होने वाले एक एक पैसे के बारे में गांव के लोग तय करेंगे कि यह किस काम पर, कहां और कैसे खर्च होगा।
दूसरे- गांव गांव में काम करने वाले सारे सरकारी कर्मचारी जैसे अध्यापक, ए.एन.एम आदि, सीधे गांव की जनता के यानि ग्राम सभा के नियन्त्रण में हो। गांव के लोग ग्राम सभा की बैठक में ठीक से काम न करने वाले कर्मचारियों के ऊपर ज़ुर्माना लगाने, तनख्वाह रोकने के फैसले ले सके।
तीसरे- गांव की जनता यानि ग्राम सभा को यह ताकत हो कि बीडीयों जैसे अफसरों को ग्राम सभा की बैठक में आने के लिए आदेश दे सके और उनके लिए ये आदेश मानना ज़रूरी हो।
चौथी बात है कि- राज्य सरकार की कोई भी नीति गांव की जनता से पूछे बिना न बने। बनाने से पहले राज्य सरकार के लिए राज्य की सभी ग्राम सभाओं से मशविरा लेना अनिवार्य हो…
पांचवी और सबसे खास बात ये भी कि- सारे स्थानीय प्राकृतिक संसाधन जैसे नदी, जंगल ज़मीन… सब सीधे गांव की जनता के नियन्त्रण में हों, ग्राम सभा का सीध नियन्त्रण हो और किसी गांव के इलाके में आने वाली ज़मीन का अधिग्रहण बिना ग्राम सभा की मंज़ूरी के सम्भव न हो इसके लिए नियम शर्ते भी ग्राम सभा में ही तय हों।
तो ये मांग लेकर हम स्वराज यात्रा पर निकले हैं… इसके लिए कानून बदलने की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन बड़े पैमाने पर जनान्दोलन चलाए बिना यह नहीं हो सकता। हम सबको इसके लिए कमर कसनी होगी। हमारा अनुरोध् है कि आप सब इस आन्दोलन से जुड़िए…
ग्रामीण : ठीक बात है… हां! सब इससे जुड़ने को तैयार हैं…
(लेकिन अभी क्या कर सकते है)
कार्यकर्ता: बहुत अच्छी बात है कि आप सब इससे जुड़ने को तैयार हैं? लेकिन जब तक कानून नहीं बदले जाते तब तक भी हम अपने गांव में बहुत कुछ कर सकते हैं… पंचायती राज कानून के बारे में आप जानते हैं…
ग्रामीण: जानते हैं, मुखिया का चुनाव होता है
कार्यकर्ता: ठीक बात है… मुखिया की ज़िम्मेदारी है कि साल में कम से कम चार बार गांव की जनता की बैठक बुलाए… इस बैठक को ग्राम सभा की बैठक या खुली बैठक कहते हैं…. साल में कम से कम चार बैठक बुलवाना तो मुखिया की मजबूरी है… ज़रूरत पड़े तो हरेक महीने, यहां तक हर हफ्रते भी बैठक बुला सकता है… आपके गांव में कभी कोई बैठक होती है….
लोग: कभी नहीं होती… हमको तो कभी कोई बैठक में नहीं बुलाता…
कार्यकर्ता: बिल्कुल नहीं बुलाता होगा… लेकिन अब आप जान लीजिए… कि हरेक गांव में साल में कम से कम चार बैठकें तो मुखिया को बुलानी ही पड़ेंगी… और इन बैठकों में ही तय होगा कि किसको इन्दिरा आवास का घर मिलेगा, किसको पेंशन बंधेगी… किसको बीपीएल मिलेगा… ये सब इन बैठकों में ही तय करना होता है… आपका मुखिया भी कागजों पर ये बैठक करा देता होगा और आपमें से कुछ लोगों के अंगूठे लगाकर खानापूर्ति कर देता होगा…
लोग: ये तो हमको मालूम नहीं… कर देता होगा…
कार्यकर्ता: देखिए ये बैठकें आपकी ज़िन्दगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं… और आपके गांव में ही नहीं देश के लगभग सब गांवों में यही हाल है… हम पिछले चार साल से गांव गांव घूम रहे हैं… ज्यादातर गांवों में फर्जी अंगूठे लगा लगा कर बैठकें दिखाई जाती हैं… लेकिन फिर भी देश में करीब डेढ हज़ार गांव ऐसे हैं जहां ये बैठकें हो रही हैं… और ये गांव आज देश में सबसे अच्छे,… सबसे सुन्दर गांव हैं… यहां सबसे अच्छा विकास हो रहा है…
(हिवरे बाज़ार की कहानी)
एक गांव में हम गए तो वहां तो पिछले बीस साल से सारे फैसले ग्राम सभा बैठकों में ही हो रहे हैं…
इस गांव में लोग 20 साल पहले आपस में इतना लड़ते थे कि हफ्ते में एक बार पुलिस का आना तो आम बात थी। हर घर में शराब बनती थी। आसपास के इलाके में पूरा गांव बदनाम था। लेकिन 20 साल पहले यहां के 10-15 युवाओं ने मिलकर तय किया कि अब हमारे गांव में ऐसा नहीं होगा। इसकें लिए उन्होंने ग्राम सभा का रास्ता चुना। उन्होंने अपने में से एक युवक को मिलकर मुखिया बनवाया और इसके बाद गांव का हर फैसला ग्राम सभा में लेना शुरू कर दिया गया।
पिछले 20 साल से वहां हर महीने कम से कम एक ग्राम सभा होती है… ज़रूरत पड़ने पर हफ्ते में भी ग्राम सभा होती है… इन ग्राम सभाओं के चलते ही आज यह गांव देश का सबसे अच्छा गांव बन गया है।
20 साल में इस गांव की काया पलट गई है। 1989 में वहां प्रति व्यक्ति आय मात्रा 840/- प्रति वर्ष थी। अब वह बढ़कर 28000/- हो गई है। 1989 में वहां 90 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे थे। अब केवल तीन परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं। अब पिछले पांच वर्षों में एक भी अपराध् नहीं हुआ है। पहले लोग झुिग्गयों में रहते थे। अब सबके पक्के मकान हैं। हर मकान में बिजली और पानी है। गांव में खूबसूरत सड़कें हैं, बढ़िया अस्पताल है, बढ़िया स्कूल है. यह चमत्कार इसलिए हुआ क्योंकि यहां हर फैसला खुली बैठक में यानि कि ग्राम सभा में सीधे जनता लेती है।
और ये चमत्कार आपके गांव में भी हो सकता है… आप में से अगर 10 युवा भी दिल पर हाथ रखकर ये सोचें कि मैं अपने गांव से प्यार करता हूं और अपने गांव के लिए कुछ करना मेरा फर्ज है तो आपके गांव में भी ग्राम सभाएं शुरू हो सकती है।
अगर आपके गांव में भी ग्राम सभा बैठकें होने लगें तो ये गांव भी हिवरे बाज़ार की तरह बन सकता है। आज के कानून के हिसाब से भी… अगर ग्राम सभा बैठकें करवाने लगें तो हालात काफी सुधर सकते हैं…
तो हम यहां कुल मिलाकर दो बातें रख रहे हैं… एक तो नया कानून लाने की जिसके हिसाब से सरकार का सारा काम, पैसा और कर्मचारी सीधे सीधे गांव की जनता के नियन्त्रण में होना चाहिए. .. दूसरी बात ये कि आप अपने गांव में ग्राम सभा की बैठकों की शुरुआत कराइए…. बिना ग्राम सभा की बैठक के आपके गांव में कुछ काम न हो… पहली बात नया कानून बनाने की… कानून बनना तो अभी दूर की बात है, इसके लिए आन्दोलन करना पडे़गा… पर ग्राम सभा का कानून तो पहले से ही बना हुआ है… इसका पालन कराना हमारे लिए आज ही से सम्भव है…
लोग: लेकिन हमारे यहां तो लोगों में एकता ही नहीं है…
(एक्शन प्लान)
कार्यकर्ता: आप ठीक कह रहे हैं… लेकिन अब हमारे सामने दो-तीन ही विकल्प हैं… या तो भगवान एक दिन हमारे गांव के तमाम लोगों आशीर्वाद दे दे कि भई आज से तुम एकता में जियोगे… तो तब तक का इन्तज़ार किया जाए. इस तरह हम अगले 100 साल, हज़ार साल इन्तज़ार करते रहें… या फिर हम लोगों की बैठके करवाना शुरू करें… शुरू में थोड़े बहुत मतभेद सामने आएंगे लेकिन जब ग्राम सभाओं के नतीज़े निकलने लगेंगे तो धीरे धीरे सब एक होने लगेंगे… एक और रास्ता ये भी है कि दिल्ली या पटना में कभी कोई महान नेता ऐसा हो जाए जो हमारे गांव की सुधार दे और हमारे गांव में ग्राम सभा करवाने के लिए व्यवस्था कर दे… तो अब बताईए आप कौन सा रास्ता चुनना चाहते हैं… इन्तज़ार का या खुद कुछ करने का…
लोग : खुद ही कुछ करना पड़ेगा वरना तो सुधार नहीं होने वाला…
कार्यकर्ता : एकदम ठीक कहा आपने… अब इतनी बात जानने सुनने के बाद बताईए कि यहां मौजूद लोगों में से खासकर युवाओं में से कौन कौन लोग सोचते हैं कि उन्हें कुछ करना है, किसका मन बना है कि अपनी ज़िम्मेदारी निभाई जाए…
(थोड़ी बहुत चुप्पी के बाद कम से कम 10-15 लोग आगे आते हैं और अपना नाम आदि लिखवाते है)
बिख्तयारपुर प्रखण्ड के सैदपुर गांव में तो लोगों ने आगे आकर शपथ ली कि वे अब ग्राम सभा पर ही काम करेंगे।
इस तरह हरेक गांव से 10-15 युवाओं का समूह बनता जा रहा है। परवीन अमानुल्लाह का कहना है कि एक बार यात्रा पूरी होने के बाद इन युवाओं को पटना में बुलाकर एक दिन के लिए इन्हें और गहराई से स्वराज के बारे में समझाया जाएगा। और तब इनके साथ मिलकर आस पास के अन्य गांवों में भी स्वराज अभियान चलाया जाएगा।
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